Career as a Special Educator
स्पेशल एजूकेशन में विशेषरूप से वे लोग अपना सफल कॅरियर बना सकते हैं जिनमें टीचिंग के लिए गजब का पैशन होने के साथ-साथ स्पेशल नीड्स वाले बच्चों के संपर्क में रहना पसंद हो। स्पेशल एजूकेशन का अर्थ होता है ऐसा विशेष स्कूल या संस्था आदि जिसमें मानसिक और शरीरिक विकलांगता यानी स्पेशल नीड्स वाले बच्चें या बड़ों को पढ़ाया जाता है। इस तरह की अपंगता वाले बच्चों को स्पेशल ट्रेंनिग और इंस्ट्रक्शन की जरूरत होती है जो अच्छी तरह ट्रेंड प्रोफेशनल्स टीचर्स ही उन्हें दे सकता हैं। स्पेशल एजूकेशन के क्षेत्र में कॅरियर बनाने के बारे में सोच रही हैं तो एक स्पेशल एजूकेटर के सामने सबसे बड़ी चुनौती अलग-अलग तरह से विकलांग बच्चों या बड़ों से संवाद करना होती है। इसलिए आपको शांत, हसमुंख और धैर्यवान होना आवश्यक है।
आपको आपकी योग्यता के आधार पर अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी जाती है:
जैसे-
» स्पेशल एजूकेटर्स को उनके अनुभव और योग्यता के हिसाब से स्कूलों में जिम्मेदारी सौंपी जाती है। फॉर एर्ली, प्री केजी और कक्षा १२ तक के स्पेशनल बच्चों की।
» कई तरह की अक्षमताओं से जूझ रहे बच्चों और बड़ों को पढ़ाने और ट्रेनिंग की जिम्मेदारी।
» उन बच्चों की जिम्मेदारी जो केवल शरीरिक रूप से अक्षम होते हैं।
» एंजाइटी डिसऑडर्स, कंडक्ट डिसऑडर्स, डिप्रेशन, हाइपरएक्टिविटी डिसऑडर्स आदि के शिकार बच्चों या बड़ों को पढ़ाने का जिम्मा।
» ऑटिज्म स्पेक्ट्रम बीमारी, इमोशनल डिसबैलेंस, ऑटिज्म आदि तमाम तरह की समस्याएं से जूझ रहे बच्चों को पढ़ाने की जिम्मादी और कॉलेज व यूनिवर्सिटी स्तर पर स्पेशल नीड् स वाले बच्चों के पढ़ाने वाले टीचर्स।
क्यों खास होते हैं ये टीचर्स
स्पेशल एजूकेशन के क्षेत्र में इसलिए प्रशिक्षित और अनुभवी शिक्षक-शिक्षिकाओं को प्राथमिता दी जाती है क्योंकि शरीरिक और मानसिक अपंग बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने में के लिए अलग और विशेष तरीकों की जरूरत होती है। यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। विशेष प्रशिक्षण के अलावा अध्यापक की अपनी व्यक्तिगत काबलियत भी महत्वपूर्ण होती है।
कोर्स
स्पेशल एजूकेशन की फील्ड में आने के लिए आपको किसी भी स्ट्रीम में १२वीं पास होना चाहिए। इसके बाद डिग्री कोर्स या बीएसी इन स्पेशल एजूकेशन के साथ-साथ इस क्षेत्र में हर स्तर के कोर्स संस्थानों में ऑफर किए जाते हैं। जेैसे सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, डिग्री कोर्स, एमएसी, एमफिल, पीएचडी सभी स्तरों पर। देश भर में ऐसे कई संस्थान हैं, जहां से स्पेशल एजूकेशन में प्रोफेशनल कोर्स किया जा सकता है। ये प्रोफेशनल कोर्स रिहैबलिटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता प्राप्ता होना जरूरी है। बीएड और एमएड करने के बाद इस क्षेत्र में अच्छी सैलरी पर नौकरी टीचिंग की राह ज्यादा आसान हो जाती है। इस क्षेत्र मेंसंभावनाएं खुली हैं और अवसर कई हैं।
विदेश में भी अवसर
एक स्पेशल एजूकेशन टीचर स्कूल-कॉलेज के अलावा, एनजीओ, प्राइवेट और सरकार अस्पताल-क्लीनिक्स में अच्छे अवार होते हैं। अगर आप अपने काम में दक्ष और अनुभवी हैं तो विदेशों में भी नौकरी की तलाश कर सकती हैं। यही नहीं कोर्स करने और अनुभव प्राप्त करने के बाद खुद का इंस्टीट्यूट खोल ऐसे बच्चों और बड़ों के लिए काम कर सकती हैं।
शिक्षण संस्था
» अली यावर जंग नेशल इंस्टीट्यूट फॉर द हियरिंग हैंडीकैप्ड, मुंबई।
» रुहेलखंड यूनिवर्सिटी।
» ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट फॉर स्पीच एंड हेयरिंग, मैजूस।
» आश्रय ट्रस्ट सेंटर फॉर हिलेबलिटेशन, मुंबई।
» हेलेन केलर्स इंस्टीट्यूट ऑफ द रिसर्च ऐंड रिहैबिलिटेशन फॉर द डिसेबल्ड चिलड्रन, सिकंदराबाद।
» इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ साइंसेस, भुवनेशवर।
» पोस्ट ग्रेजुएशन इंस्टीट्यूट ऑफ द मेडिकल एजूकेशन ऐंड रिर्सच चंडीगढ़ आदि।
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