टाइगर जिंदा है, तो दहाड़ेगा ही

Film Review by: धर्मेंद्र उपाध्याय

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सलमान खान की पिछली फिल्म ‘ट्यूबलाइट’ बॉक्स पर कमजोर रही इसलिए इस बार सलमान खान ‘टाइगर जिंदा है’ के साथ बॉक्स ऑफिस पर खामोशी के साथ परीक्षा देने के लिए हाजिर हुए लेकिन शुक्रवार को ही महसूस हो गया है कि टाइगर जिंदा है तो दहाड़ेगा ही। यशराज फिल्मस के बैनर तले 4600 स्क्रीन पर रिलीज हुई फिल्म टाइगर जिंदा है।

ये तो सभी जानते हैं कि कबीर खान की एक था टाइगर की सीक्वल है। फिल्म की कहानी के इर्द गिर्द वे किरदार हैं जो पिछली फिल्म की याद दिलाते हैं। सलमान खान की फिल्मों में कहानी कम और वे ज्यादा होते है इसलिए यहां भी कहानी सिर्फ इतनी है कि आतंकवादियों द्वारा अपृहत नर्सेज को मुक्त करवाने के लिए टाइगर मिशन पर जाता है। इन नर्सेज में सलमान की महबूबा (कटरीना कैफ) भी हैं। फिल्म में सलमान के साथ अंगद बेदी और कुमुद मिश्रा, गिरीश कर्नाड सहायक भूमिकाओं में प्रस्तुत हैं।

क्योंकि सिनेमा में कथा से ज्यादा पटकथा का घनत्व होना चाहिए इस लिहाज से लेखक-निर्देशक अली अब्बास जफर ने नयानाभिरामी लोकेशंस के साथ हर सीन में सस्पेंस को कायम रखा हैं। दृष्य संरचना सुघड़ है, जो आगे क्या होने वाला है इसे लेक र दर्शकों को जिज्ञासु बनाए रखने में कामयाब रहती हैं। खलनायक के रूप में सज्जाद भी फिल्म में चौकाते हैं। इसके अलावा कुमुद मिश्रा और कटरीना कैफ ने भी अपने काम को सही ढंग से अंजाम दिया है। लेकिन इस फिल्म का प्रमुख आकर्षण है इसका नैरेशन। अपने कथ्य को निर्देशक अली अब्बास जफर ने बड़े आत्म विश्वास के साथ प्रस्तुत किया है। वो फिल्म दर फिल्म निखरते जा रहे हैं। एक ही बैनर के लिए लगातार फिल्में बना रहे अली अब्बास जफर के खाते में एक भी फलॉप फिल्म नहीं है।
सलमान और अली अब्बास जफर हिंट फिल्म सुल्तान दे चुके हैं। इस फिल्म में अली अब्बास जफर ने भावनात्मक लिहाज से एक बार फिर सलमान और कटरीना को करीब लाने के लिए रोचक प्रसंग रचे हैं। सलमान के फैन तो पहले से ही कयास लगा रहे हैं कि टाइगर जिंदा है कि बाद एक बार फिर सलमान और कटरीना में पैचअप हो सकता है।

टाइगर जिंदा है को दर्शकों द्वारा हाथों हाथ लेने की एक वजह ये भी दिख रही हैं कि काफी समय से कोई बड़ी स्टारकास्ट वाली फिल्म रिलीज नहींं हुई है। क्रिसमस की छुट्टियों को देखते हुए फिल्मस के बॉक्स आफिस पर दमदारी से टिके रहने की संभावना है। फिल्म का गीत संगीत काफी अच्छा बन पड़ा है। इरशाद कामिल के गीतों को विशाल शेखर ने अपनी धुनों से सजाया है। स्वैग से स्वागत जहां धमालचौकड़ी पसंद करने वालों के लिए है वहीं गाना दिल दीयां गल्ला मैलोडियस संगीत को सुनने वालों के लिए एक उपहार की तरह है। इस शुक्रवार को क्या अगल शुक्रवार तक टाइगर जिंदा हैं कि मुकाबले कोई फिल्म नहींं है इसलिए आप बेहिचक जाकर फिल्म देख सकते हैं।

पिछले सात साल से पिंकसिटी जयपुर के पत्रकारिता जगत के साथ रंगमंच और राजस्थानी सिनेमा में सक्रिय युवा पत्रकार धर्मेंद्र उपाध्याय बतौर फिल्म पत्रकार काम करते हुए कई डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का लेखन-निर्देशन कर चुके हैं। इन दिनों मुंबई स्क्रीन राइटर के रूप में सक्रिय हैं।

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