कुश्ती में नाम कमाना है तो प्रेरणा लें पूर्व पहलवान अलका तोमर से

Success Story Of  Wrestler Alka Tomar

सफलता की ऊंचाइयों को छूने के लिए आत्मविशवास को कायम रखना अत्यंत आवश्यक है। मैं विपरीत परिस्थितयों में भी अपना आत्मविश्वास बनाए रखने के लिए अपनी सफलताओं को याद करती। लड़कियों और महिलाओं को जिंदगी में कई तरह के मुश्किल हालात से गुजरना पड़ता। उन्हे किसी भी सूरत में स्वयं को कमजोर कभी नहीं समझना चाहिए। अपनी कमजोरियों को दूर कर खुद को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करना चाहिए।

राष्ट्रमंडल खेल 2010 में स्वर्ण पदक जीतने वाली मेरठ के सिसौली की रहने वाली अलका तोमर का जन्म जनवरी 1985 में हुआ। कुश्ती के खेल से अलका स्कूल के समय से ही जुड़ी रहीं। कक्षा आठवीं से ही वे कुश्ती प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने लगी थीं। अपनी कठिन मेहतन और प्रयासों के बल पर उन्होंने देश का नाम रोशन किया। उनके परिवार में उनके दादाजी कुश्ती पहलवान थे। इसके बाद पिता और दोनों बड़े भाई भी कुश्ती खेलते हुए नेशनल गोल्ड मैडलिस्ट रह चुके हैं। ऐसे में अलका के परिवार का बैकग्राउंड ही कुश्ती से जुड़ा है।

यही नहीं अलका के पिता चाहते थे कि बेटी भी एक पहलवान बने। परिवार की तरफ से उन्हें इस क्षेत्र में कॅरियन बनाने के लिए पूरा सहयोग और मार्गदर्शन मिला। वे पूरी तरह फिट थीं इसलिए उनके लिए इस क्षेत्र को चुनना मुश्किल भी नहीं था। वर्ष १९९८ की बात है उस समय मेरठ में नेशनल चैंपियनशिप के लिए कैंप लगा। अलके के पिता अपनी बेटी को लेकर कैंप पहुंच गए। वहां कोच जबरसिंह ने उन्हें कुश्ती के लिए चुन लिया। इसके बाद उन्होने अपने इसी कोच से कुश्ती की बारीकियां सीखनी शुरू कीं।
साथ -साथ वे अनेक राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय चैंपियनशिप में हिस्सा भी ले रही थीं। उन्होंने राष्ट्रमंडल कुशती चैंपियनशिप 2007 और कनाडा गोल्ड कप कुशती चैंपियनशिप 2007 में कांस्य पदक जीते। वहीं कनाडा में ही आयोजित अंतराष्ट्रीय आमंत्रण कुशती टूर्नामेंट में रजत पदक भी जीता।

Jabar singh soam. coach alka tomar

दोहा एशियाई खेल 2006 तथा सीनियर विश्च चैंपियनशिप 2006 में कांस्य पदक उन्होंने हासिल किया। साल 2005 में राष्ट्रमंड और सीनियर एशियाई चैंपियनशिप में क्रमश: स्वर्ग और रजत पदक जीते। 2007 में अलका को खेल में उनके योगदान के लिए अर्जुन पुरस्कार से नवजा गया। अलका ने अपने कई इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने जिस क्षेत्र को कॅरियर के लिए चुना था उस समय उसमें लड़कियों के लिए कॅरियर बनाना आसान न था।

लोगों को एक लड़की का पहलवान बनना या कुश्ती सीखना अच्छा नहीं लगता था। मगर परिवार का साथ और अलका का दृढ़ विश्वास उन्हें उनके रास्ते से डिगा न सका।

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