International day of girl child
बेटियों केा सशक्त बनाने और उन्हें समाज में उचित सम्मान दिलाने के लिए महिला और बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा हर साल देश में बालिका राष्टीय स्तर पर बालिका शिशु दिवस यानी नेशनल गर्ल चाइल्ड डे के रूप में मनाया जाता है। इसे मनाने का उदे्दश समाज में लड़कियों के महत्व को समझना और उन्हें बेटों के समान ही अधिकार और परवरिश देना है।
इस दिन की शुरूआत साल 2008 में की गई थी ताकि समाज में बेटियों की घटती आबाद को ध्यान में रखते हुए उन के साथ होने वाला सामाजिक भेदभाव को खत्म किया जा सके। क्योंकि बटियों को गर्भ में ही मार डालने जैसे जघन्य आपराध समाज में जारी है। इसलिए लड़के और लड़की की जनसंख्या का अनुपात गड़बड़ा गया है। लड़कियों की संख्या लगातार कम होती जा रही है।
जरूरत है लोगों की मानसिकता को बदलने की ताकि वे बेटियों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार न करें। इसलिए इस दिन, पूरे देश में अलग-अलग तरह से कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रम में सफल बेटियों को भी आमंत्रित कर उन्हें सम्मानित किया जाता है।
सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर आयोजित इन कार्यक्रमों में बाल लिंगानुपात के खिलाफ आवाज उठाना और बेटियों को लेकर समाज की घिसी-पिटी सोच को बदलना है। ताकि बेटियों के स्वास्थ्य, सम्मान, शिक्षा, पोषण आदि से जुड़े मुद्दों पर उन्हें बराबर की सुविधाएं मिल सकें। लैंगिक असमानता को समाप्त करने के लिए सरकार और समाज दोनों मिलकर प्रयास कर रहे हैं। यह हर वर्ष 11 अक्टूबर को मनाया जाता है।
Feature Photo courtesy: askideas.com