देखिये, ऐसे होती है टीवी धारावाहिक की शूटिंग
By: Bushra Khan
लाईट, कैमरा, ऐक्शन…थप्पड़ से डर लगता है साहेब, प्यार से… कट कट, नो नो नो, रौँग डॉयलाग, अगेन एक्सप्रेशन ठीक कीजिऐ। चलिऐ रेडी दोबारा…टेक 2. जी हां, यदि आप किसी फिल्म अथवा टीवी शो के सेट पर हैं, तो आप को इस तरह के ही वाक्य सुनने को मिलेगे । इसे कहते हैं, शूटिंग। जहाँ कड़ी मेहनत के साथ सैकड़ों लोग एक टीम बनकर काम करते हैं.

कैमरे के सामने दिखने वाले चमकदार चेहरों के इतर सैट पर उन साधारण से दिखने वाले चेहरों की कमी नहीं होती जिन के बिना किसी फिल्म अथवा टीवी शो की कल्पना भी नहीं की जा सकती। ये वे लोग होते हैं जिन्हे क्रू मेंबर कहा जाता है, जो चुपचाप बड़ी मेहनत के साथ अपना काम करते रहते हैं।
दर्शक जब किसी थियेटर से कोई फिल्म देख वाह-वाह करते, बाहर निकलता है तो समझिऐ, उस फिल्म से जुड़े उन सैकड़ों लोगों की मेहनत सफल हो गई, जो परदे पर कभी दिखाई नहीं देते । ढाई-तीन घंटे की एक फिल्म के पीेछे कितने लोगों की मेहनत काम करती है आम जनता के लिए शायद इसका अंदाजा भी लगाना मुश्किल है। दर्शक हीरों हीरोइनों के लिए हाॅल में बैठकर तालियां पीटते हैं जो परदे पर दिखाई दे रहे होते हैं, लेकिन जो सैकड़ों मेहनतकश सेट पर कैमरे के पीछे व इर्द-गिर्द काम कर रहे होते हैं, उन्हें न कोई जानता है न पहचानता है, लेकिन इन के बिना कोई फिल्म अथवा शो बनना असंभव है।
हां, आजकल डिजिटल इंडिया के चलते लोग हीरो फिल्म की कास्ट के अलावा फिल्म के डायरेक्टर, सिंगर व कई दफा प्रोड्यूसर आदि को जरूर पहचानने लगे हैं। क्योँकि आज ट्विटर आद पर सब एक्टिव रहने लगे हैं. वरना एक जमाना वह भी था जब परदे पर नाचते गाते कलाकार को देखकर यही माना जाता था कि वे अपनी आवाज़ में ही गाते हैं. परदे पर कलाकार किसी और की आवाज पर केवल लिप्सिंग कर रहा है, इस बात के बारे में दूर-दूर तक किसी को कुछ पता नहीं था। यह अलग बात है कि उस जमाने में कई कलाकार ऐसे हरफनमौला थे जो एक्टिंग भी करते और अपनी आवाज में गाया भी करते थे और डांस भी खुद अपने स्टाइल में करते थे. प्लेबैक सिंगर किसे कहते है आमजन को नहीं मालूम था। तब फिल्म के निर्देशक अथवा प्रोडयूसर के बारे में बहुत काम लोग जानते थे.

आज भी जब हम फिल्म में नायक नायिका को किसी रोमांटिक गाने पर नाचते देखते हैं तो सारी वाह वाही उन्हीं पर लुटाते हैं। उस एक गाने को तैयार करने में कितने लोग इनवाॅल्व होते हैं यह कोई नहीं सोचता। सबसे पहले परदे पर नायक नायिका को आकर्षक दिखाने के लिए ड्रेस तैयार करने वाला डिजाइनर, चेहरे को मनमोहक बनाने के लिए मेकअप आर्टिस्ट, हेयर डिजाइनर, कोरियोग्राफर जो उन्हें नाचना सिखाते हैं। गीतकार जो उनके लिए गाने लिखता है। संगीतकार जो गानों को संगीत से सजाता है। गायक जो अपनी मधुर आवाज में गीत को पिरोता हैं और उस स्टूडियो में कार्य करने वाले रिकार्डिस्ट, सहायक आदि जो गाने को रिकार्ड कर के सुनने लायक बनाते हैं। यह तो महज़ एक गाने का उदहारण है. इस के अलावा दर्शक जिन खूबसूरत कलाकारों को आंखे फाड़ कर परदे पर देखते हैं उन को फिट रखने के लिए उन के डाइट प्लानर, फिटनेस एक्सपर्ट की मेहनत को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और अंतत वह यूनिट जो फिल्म और गीत को फिल्माती है। ये केवल एक गीत की मिसाल दी गयी है. जबकि किसी पूरी फिल्म को बनाने में बहुत बड़ी टीम काम करती है.
छोटे परदे पर और अधिक मेहनत व समय लगता है। क्योंकि धारावाहिक सप्ताह के 6 दिन प्रसारित होते हैं और इसके लिए शूटिंग भी अधिक करनी होती है। शूटिंग करना बेहद थका देने वाला और जिम्मेदारी भरा काम होता है। सैट पर मौजूद हर व्यक्ति का अपना-अपना काम होता है, जो उसे करना होता है। घर में बैठकर टीवी पर अपना मनपसंद प्रोग्राम देखते वक्त हम सिर्फ वह देख कर आनंद लेते हैं जो परदे पर दिखाई दे रहा होता है। पर जो चेहरे किसी धारावाहिक में दिखाई दे रहे होते हैं उससे कई गुणा अधिक कैमरे के पीेछे मौजूद होते हैं। निर्देशक रोहित पंडित के अनुसार किसी टीवी धारावाहिक के सैट पर कलाकारों के अलावा कम से कम 50-60 लोगों की टीम काम कर रही होती है। जिनमें डायरेक्टर, असिसटेंट डायरेक्टर, कैमरामैन, लाइटमैन, ट्राली ड्राइवर, स्क्रिप्ट राइटर के साथ अनेकों वे लोग मौजूद रहते हैं जो अलग अलग जिम्मेदारियां संभालते हैं।
सैट डिजाइनर के अनुसार सैट तैयार करने वालों का यदि ज़िक्र न किया जाए तो बात अधूरी रह जायेगी. वे कारपेंटर जो सैट पर हर समय मौजूद रहते हैं सैट को शौकी ज़रुरत के अनुसार फेर बदल करने के लिए। यही नहीं सेट पर वह दरजी भी मौजूद रहता है जो कलाकारों के ड्रेस आल्टर करता है और उन का रखरखाव करता है। कास्ट एंड क्रू के चाय नाश्ते आदि की भी व्यवस्था के लिए लोग मौजूद रहते हैं। शूटिंग के समय मेकअपमैन व हेयर डिजाइनर हर समय कलाकार के साथ साथ रहता है और हर शॉट के बाद बालों को संभालना अथवा मेकअप टचअप देना आदि करते हैं।
सेट पर निर्देशक की भूमिका सबसे अहम् होती है जिसके डायरेक्शन में शूटिंग होती है. सिक्योरिटी की. भी पूरी व्यवस्था की जाती है. इसलिए अब अगर आप कोई फिल्म या टीवी शो देखे रहे हों तो परदे के पीछे के इन हीरोज़ को भी याद रखें।