घर से शुरू कर सकती हैं कुशन का कारोबार
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जिंदगी में सही मार्गदर्शन देने वाले आपको बहुत कम और बहुत देर से मिल सकते हैं। इसलिए अपने भीतर की प्रतिभा और क्षमताओं को पहचानकर खुद अपनी मार्गदर्शक बन जाएं। छोटे-छोटे कदमों से ही सफलता मिलती है।
खूबसूरत डिजाइनों वाले कुशन बनाना सीमा बहुत अच्छी तरह जानती थी। अपनी मां से उन्होंने इस कला को तब सीख लिया था जब उनका विवाह नहीं हुआ था। विवाह के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। पति जितना कमाते उससे मुश्किल से गुजारा हो पाता था। एक दिन सीमा ने अपने दहेज में मिले अपनी मां और दादी के हाथ के वे सारे बुने और कढ़े हुए आइटम निकालकर देखे। ये खूबसूरत मेजपोश, कुशन कवर, फ्रिज और टेबल कवर और कई डेकोरेशन के आइटम थे। अपनी देवरानी को उन्होंने इन्हें दिखाया तो वे हैरान रह गईं। ये सब सामान कहां से खरीदा जा सकता है पूछने पर सीमा ने बताया कि यह सब उनकी मां और नानी के हाथों का बना है और मैं भी यह सब बनाना जानती हूं।
सही मार्गदर्शन मिला और काम चल निकला
उनकी देवरानी ने उन्हें एक बेहद कीमती सलाह दे डाली। फिर क्या था सीमा ने अपनी सिलाई मशीन निकालकर उसकी सफाई आदि कर उसे फिर से सिलाई करने लायक बनाया। बाजार से जाकर कुछ कपड़े के टुकड़े और डेकोरेशन की सामग्री भी ले आईं। घर आकर उस कपड़े से एक सोफा सेट के लिए पांच खूबसूरत कुशन तैयार कर दिए। पूरा सेट अच्छे दामों में उनकी देवरानी ने ही खरीद लिया। इसके बाद यह सिलसिला चल पड़ा। सीमा ने पहले अपने आसपास अपने हाथ के बनाए सामान को बेचा।
लोगों को उनके ये आइटम खूब पसंद आ रहे थे। उन्होंने कुशन के अलावा पिलो कवर, वॉल हैंगिंग जैसा सामान भी तैयार करना शुरू कर दिया। उनके पति ने वे आइटम बाजार में ले जाकर दिखाए तो वहां से उन्हें कई ऑर्डर मिल गए। सीमा ने अपने एक छोटे-से कमरे में दो महिला हैल्परों को रखकर काम को बढ़ाना शुरू कर दिया। एक व्हाट्ऐप ग्रुप बनाकर अपने काम का प्रचार भी शुरू कर दिया। किसी ने ई-कॉमर्स वेबसाइट की सलाह दी तो यहां से उन्हें और ज्यादा प्रोमोमशन मिलने लगा। कमाई अच्छी होने लगी तो दो सिलाई मशीने और खरीद लीं।
हैंडीक्राफ्ट बुटीक
सीमा ने अपनी बेटी कशिश के नाम पर हैंडीक्राफ्ट बुटीक शुरू कर दिया। अब दिल्ली ही नहीं फेसबुक पेज के जरिए उनके पास दूर-दूर से ग्राहक उनसे संपर्क करते हैं। वे अपने प्रोडक्ट रिटेल और होलसेल दोनों तरह से करने लगीं। उनके पति भी इस काम में पूरा सहयोग कर रहे हैं।
सीमा के भीतर प्रतिभा तो थी मगर मार्गदर्शन की कमी थी। इस रास्ते को सही दिशा दी सीमा की देवरानी। इसे सीमा के भीतर आत्मविश्वास पैदा हुआ।
आज सीमा अनेक प्रदर्शनियों में भी अपना सामान बेचती हैं। लोगों को ये पारंपरिक हैंड सामान खूब भाता है। अगर आपके भीतर भी ऐसी प्रतिभा है तो इसे तुरंत बाहर निकालें और अपने व्यवसाय की शुरूआत के लिए पहला कदम बढ़ा डालें। काम खुद काम सिखा देता है।