The Journey Of Anita Gupta’s Bhojpur Mahila Kala Kendra

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एक महिला की हिम्मत ने 25000 महिलाओं को बनाया सक्षम

By: Team

महिलाएँ उस समय अपने घरों से बाहर निकलने के लिए तैयार नहीं थीं। उनका जीवन अपने घरेलू कर्तव्यों और उनके परिवार की देखभाल के आसपास घूमता था। हम उन्हें जागरूक करते थे और उन्हें शिक्षा के महत्व और आजीविका कमाने के बारे में बताते थे। अगर उन्होंने कमाई शुरू की, तो वे अपने बच्चों को शिक्षित कर सकेंगी।

बिहार का आरा जिला। इसी जिले में वर्ष 1993 में अनीता गुप्ता ने ‘भोजपुर महिला कला केंद्र’ की स्थापना की थी। बिहार और गांवों में महिलाओं के बीच जागरूकता पैदा की। मकसद था छोटे शहरों में बसने वाली महिलाओं को शिक्षा और रोजगार प्रशिक्षण देकर उन्हें सशक्त बनाना। अनीता ने स्वयं पितृसत्तात्मक समाज में बहुत कुछ ऐसा होते देख रही थीं जो उन्हें भीतर से झकझोर रहा था। उनके घर के भीतर घटी ऐ घटना से आहत होकर वे समाज में बदलाव लाने के लिए उठ खड़ी हुईं। शुरूआत में घर के पुरुषों द्वारा ही उन पर कई तरह की पाबंदियां लगाई जाने लगीं। लेकिन अनीता पीछे नहीं हटीं।

उन्होंने महिलाओं का आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की पहल की। आज उनके एनजीओ ने करीब 400 कौशल में 25,000 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया है। साथ ही बिहार में लगभग 300 महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) का गठन भी किया है। जो वयस्क शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, आजीविका संवर्धन, स्वास्थ्य जांच शिविर में सक्रिय रहते हैं। इन समूहों को अंतरराष्ट्रीय विकास संगठन पैक्ट का समर्थन प्राप्त है। इस सब में उन्हें उनके भाई संतोष का हमेशा सहयोग मिलता रहा।

अनीता और संतोष ने अपने द्वारा देखे गए प्रत्येक गाँव में शिक्षा की शक्ति का संदेश दिया। मगर यह सब इतना आसान नहीं था। अनीता को इस बात का एहसास जल्दी ही होने लगा था। उनका रास्ता कई चुनौतियों से भरा हुआ था। अनीता को इसमें कई लोगों का की मदद भी मिलती रही। 2000 में, उन्हें एक आईएएस अधिकारी, अमिताभ वर्मा ने सरकारी सहायता प्राप्त करने के लिए एक संगठन के रूप में भोजपुर महिला कला केंद्र को रजिस्टर्ड करने की सलाह दी और इसमें उनकी मदद भी की।


इन ग्रामीण महिलाओं द्वारा निर्मित आभूषण सरकार द्वारा आयोजित मेलों और प्रदर्शनियों में बेचे जाते हैं। यही नहीं ये महिलाएं कई महानगरों और शहरों में अलग-अलग दुकानों पर आभूषण सप्लाई भी करती हैं करता है। वर्ष 2000 में, उनके इस एनजीओ को भारत सरकार के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज और डीसी हस्तशिल्प, भारत सरकारका समर्थन प्राप्त हुआ।

महिलाओं को सशक्तबनाने की दिशा में काम करने के लिए 2008 में अनीता को बिहार सरकार की ओर से पुरस्कार भी किया जा चुका है। वे बिहार और झारखंड में सिलाई स्कूल में महिलाओं को सिलाई का प्रशिक्षण देती हैं ताकि महिलाएं कौशल विकास प्रशिक्षण लेकर स्वतंत्र हों ।
वर्तमान में, समूह में 200 महिलाएँ जुड़ी हुई हैं।

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