बाप-बेटे की जुगलबंदी का जलवा- जुड़वां-2

By: धर्मेंद्र उपाध्याय  

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      किसी भी निर्देशक के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है, जब दर्शक उसकी कहानी को दिमाग में रख सिनेमाघर में इंट्री ले रहे हो। तब दृश्य संयोजन ही एकमात्र शक्ति होती है, जिससे वो अपने दर्शकों की दृष्टि में फिल्म को रोचक बना सके। इस कसौटी में जुड़वां-2 खरी उतरी है। निर्देशक डेविड धवन इस शुक्रवार अपने बेटे वरूण के साथ जुड़वा 2 के जरिए उपस्थित हैं। फिल्म को अच्छा र्स्टाट मिला। अब ये बात माननी पड़ेगी कि नयी पीढीं के नायक के रूप में वरूण धवन को युवा पीढी ने स्वीकार लिया है। वो अब अकेले की दम से बॉक्स आफिस पर फिल्म की नैया पार लगा सकते हैं।

डेविड धवन ने अपने गुरू मनमोहन देसाई के अंदाज में ही कहानी को कहा है जिसे हम कई दशकों से देखते आ रहे हैं। लेकिन उनके खोया पाया फार्मूले में भावनाओं और बदमाशियों का छौंक लगाकर डेविड दो सफल फिल्में बना चुके हैं। मनमोहन देसाई की उसी लकीर पे फिल्म की कहानी कुछ इस प्रकार है कि प्रेम (वरुण धवन ) और राजा (वरुण धवन ) जुड़वा भाई हैं, जो बचपन में एक स्मगलर की उनके पिता से दुशमनी के चलते जुदा हो गए थे। राजा को परिस्थितिया मुंबई की झोंपड़पट्टी में पहुंचता देती हैं। और प्रेम अपने माता पिता के साथ लंदन चला जाता है। दौनों का लालन-पालन अलग ढंग से होता है। जिससे प्रेम थोड़ा दब्बू, पढा लिखा हो जाता हैं वहीं राजा बुलंद बागी हो जाता है।

आखिर उनके जुड़वा होने की दिक्कतें और परिस्थिितियां दौनों को एक दिन आमने सामने कर देती है। फिर मजेदार टिवस्ट के साथ सलमान का आगमन दर्शकों को भावनात्मक स्वरूप में फिल्म से दोगुनी तेजी से जोड़ देता है। फिल्म में राजपाल यादव, जॉनी लीवर, अली असगर, उपासना सिंह जैसे कॉमेडी के किंग कलाकारों ने भी खूब काम किया है। पुलिस अधिकारी के रोल में पवन मल्होत्रा ने भी अच्छा काम किया है। उपासना सिंह के काम तारीफ करने पड़ेगी। फिल्म में जैकलीन फर्नाडीस की अदाएं और तापसी पन्नू की अंदाज लुभावना है।
हालांकि वरूण के अभिनय और वाक्य उच्चारण में कमियां हैं। लेकिन इससे इतर उन्होंने अपनी लगातार स्टार माइंड साधना से खुद को इस तरह सेट किया है कि उनके लटके झटके नई पीढी भी पसंद कर रही है। बेशक इस मामले में वो अपने गुरूभाई सिद्धार्थ मल्होत्रा से आगे निकल चुके हैं। फिल्म का गीत-संगीत फिर से वो ही है जिसे नए तड़के के साथ प्रस्तुत किया है।

इस फिल्म की खास कशिश डेविड धवन और वरूण धवन की जुगलबंदी है , डेविड धवन ने बहुत बारीकी के साथ अपने नायक को इतने सालों बाद अपने बेटे में फिर से रोप दिया। इस मामले में डेविड धवन जादूगर है। वे स्वंय निर्देशक से पहले एडिटर भी है। इसलिए फिल्म को संपादन टेबिल पर पूरी तरह कस देते हैं। वरूण को सलमान का सपोर्ट मिला है। इसलिए माउथ पब्लिसिटी से फिल्म का आंकड़ा सौ करोड़ छू जाए तो कोई हैरानी नहींं होगी ।
जुड़वां-2 दशहरे की छुट्टियों में दर्शकों के लिए एक मनोरंजन का डोज है। जो दर्शक इस वीकेंड फिल्म देखना जाना चाहते हैं, साथ ही सिनेमा में मनोरंजन की तलाश करते हैं। उन्हें ये फिल्म कतई निराश नहींं करेगी।

(पिछले सात साल से पिंकसिटी जयपुर के पत्रकारिता जगत के साथ रंगमंच और राजस्थानी सिनेमा में सक्रिय युवा पत्रकार धर्मेंद्र उपाध्याय बतौर फिल्म पत्रकार काम करते हुए कई डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का लेखन-निर्देशन कर चुके हैं। इन दिनों मुंबई स्क्रीन राइटर के रूप में सक्रिय हैं।)

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