By: Bushra Khan
उफ्फ! शी इज़ ब्यूटीफुल एंड हैव ए वैरी इनोसेंट लुक..मैं ने पुछा आप खुद एक बेहद आकर्षक व्यक्तित्व की मालकिन हैं तो क्या कभी किसी टीवी शो या फिल्म में एक्टिंग करने का विचार आपके मन में नहीं आया? मुस्कुराते हुए उन्होंने जवाब दिया नहीं, बिलकुल नहीं।।
यस शी इज़ कविता, कविता बड़जात्या। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के प्रतिष्ठित और कामयाब घराने राजश्री प्रोडक्शन की एक स्ट्रांग वुमन, जिसने दशकों बाद राजश्री की टीवी विंग को रिवाइव किया और एक के बाद एक कामयाब धारावाहिकों का निर्माण किया।
मुंबई के मलाड स्थित अपने ऑफिस में बैठी कविता ने टीवी की दुनिया में अपने शुरुआती दिनों से लेकर उन पड़ावों का ज़िक्र किया जहां उन्हें कभी कामयाबी तो कभी नाकामी हाथ लगी, मगर उन्होंने हार नहीं मानी. कविता ने बताया, शुरू में टीवी या फ़िल्में करने का मेरा ज़रा भी कोई इरादा नहीं था. या यूँ कहूं कि मैं नहीं जानती थी कि मुझे करना क्या है? हाँ, कत्थक और सिंगिंग करने का मुझे शौक था. मैं लाइव स्टेज परफॉर्मेंसेस देती थी, भजन भी गाए. मेरी पढाई लिखाई मुंबई में ही हुई और यहीं से मैंने एमबीए की डिग्री भी ली. इस सब के बावजूद पता नहीं था कि करियर कहां बनाना है? ऐनटरटेनमेंट में कैरियर बनाना है यह तो बिलकुल नहीं सोचा था.
कुछ चीज़ें समय के साथ होती चली जाती हैं और मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. मैं एक मारवाड़ी टिपिकल फैमिली से हूं जहाँ आमतौर पर लड़कियां काम नहीं करती. यही वजह रही कि दशकों से राजश्री में कोई लड़की फैमिली बिज़नेस का हिस्सा नहीं बनी. हालांकि आज बॉलीवुड में ऐसे ढेरों नाम हैं जो अपने फैमिली बिज़नेस को आगे बढ़ा रही हैं.
मेरा नेचर हमेशा से अलग रहा है और मैं बहुत ज़्यादा ऐक्टिव रही हूं चाहे वो कोई भी क्षेत्र रहा हो. मैं घर पर चैन से नहीं बैठती थी. कुछ तो करना था पर क्या करना है यह डिसाइडेड नहीं था. एक दिन सोचा कि सूरज बड़जात्या (कज़िन ) इतनी फ़िल्में बनाते हैं क्यों न उनको असिस्ट किया जाये। इससे कुछ तो सीखने का मौका मिलेगा।
होम प्रोडक्शन में काम करने की बात थी इसलिए फैमिली ने मन भी नहीं किया. फिल्म ‘मै प्रेम की दीवानी हूं’ की मेकिंग के समय सूरज को असिस्ट करने के साथ ही फ़िल्मी दुनिया में मेरा अनुभव का दौर शुरू हुआ.

यह फिल्म बनने में ढाई साल लगे. इसके बाद फिल्म ‘विवाह’ की कहानी पर काम शुरू हुआ. मैं फिल्म दर फिल्म उनको असिस्ट करने के मूड में थी. एक दिन उन्होंने कहा की क्यों न मैं अपना खुद का कोई प्रोजेक्ट शुरू करुं. अच्छी बात यह थी कि आज से 10 साल पहले टीवी का बिज़नेस काफी बूम कर रहा था.
टीवी के मुकाबले फिल्मों की दुनिया बेहद रिह्स्की है. एक फिल्ममेकर एक फिल्म बनाने में अपना सब कुछ दांव पर लगा देता है. फिल्म न चले तो एक झटके में सारा पैसा डूब जाता है. साथ ही फिल्मों को रिलीज़ होने तक लंबा इन्तिज़ार करना पड़ता है. वहीँ टीवी में हाथों हाथ रिजल्ट मिल जाता है, और शो में बाद में भी बदलाव करने का चांस भी होता है. इन सब बातों को देखते हुए मैंने ठान लिया की टीवी में ही कुछ करना है.
काम शुरू कर दिया तो परिवार का भी साथ मिलता गया.
2005 में मैंने टीवी बिजिनेस शुरू किया और ‘वो रहने वाली महलों की’ धारावाहिक का निर्माण किया. इसके 1400 ऐपिसोड पूरे हुए और शो 5 सालों तक चला. यह एक फैमिली शो था जो घर घर में देखा जाता था. 2006 में स्टार प्लस के लिए एक शो ‘प्यार के दो नाम एक राधा एक श्याम’ बनाया। इसके बाद ‘मैं तेरी परछाईं’ एनडीटीवी इमेजिन के लिए बनाया. फिर ‘दो हंसों का जोड़ा’, ‘यहां मैं घर-घर खेली’, ‘प्यार का दर्द है मीठा मीठा प्यारा-प्यारा’, ‘झिलमिल सितारों का आंगन होगा’

और इस साल मार्च में ख़त्म हुआ शो ‘एक रिश्ता साझेदारी का’ ये सभी शोज उम्मीद से ज़्यादा कामयाब रहे. फिर मैंने कविता बड़जात्या नाम से अपना प्रोडक्शन हाउस बनाया इसमें कौशिक दादा मेरे सहयोगी हैं. मैंने और कौशिक दादा ने मिलकर एक फिल्म भी बनाई थी जिसका नाम था ‘सम्राट एंड कंपनी’ जो साल 2004 में रिलीज़ हुई थी. इस फिल्म को मैंने प्रोड्यूस किया और दादा ने लिखी और डायरेक्ट की थी.
आज भी जब मैं कोई नया शो शुरू करने वाली होती हूं तो बेहद नर्वस होती हूं. जब शो सेटअप हो रहा होता है तो हर चीज़ नयी होती है. लोकेशन, कैरेक्टर्स, वेशभूषा, लुक्स आदि तमाम चीज़ें. 9 टू 9 शूटिंग होती है इससे ज़्यादा काम नहीं हो सकता क्योंकि आर्टिस्ट यूनियंस आर वैरी स्ट्रिक्ट. शूटिंग से पहले हम थोड़ा बैंकिंग कर लेते हैं जिस का मतलब होता है अगस्त में आने वाले शो की शूटिंग मई जून में शुरू कर दी जाती है.
इसके बाद प्रीतिदिन शूटिंग होती है यानी रोज़ कुआं खोदना और रोज़ पानी पीना. आप कोई भी काम करें मेहनत तो आपको करनी ही होगी. मेहनत नहीं छोड़नी चाहिए। कामयाबी के लिए यह बहुत ज़रूरी है. दुनिया में सिर्फ रोना सीखकर पैदा होते हैं. बाकी चीज़े हम दुनिया में आकर ही सीखते हैं.