अचार बनाकर दे रही हैं महिलाओं को रोजगार
By- Team
ग्रेजुएशन के बाद नौकरी न मिलने पर अनीता देवी ने लघु उद्योग की शुरूआत कर दी । अचार का व्यवसाय शुरू कर आज सैकड़ों महिलाओं को दे रहीं हैं रोजगार।
ग्रामीण भारत की महिलाएं लगातार अपनी क्षमताओं के दम पर कायामबी के परचम लहरा रही हैं। अनीता देवी की कहानी भी ऐसी ही सफल महिलाओं में शुमार होती है। झारखंड की गुमला जिले में रहने वाली अनीता देवी ने हताश होकर हथियार नहीं डाले। आपको बता दें कि गुमला जिला के तहत आने वाला बिशुनपुर है अति पिछड़ा इलाका है। यही अनीता का घर है। यह उनकी हिम्मत और लगन ही रही होगी कि उन्होंने यहां रहते हुए ग्रेेजुएशन तक पढ़ाई की। पढ़ाई के बाद उन्होंने नौकरी पाने के लिए कई परीक्षाएं दीं। मगर उन्हें कहीं भी कामयाबी नहीं मिली। एक समय के बाद उन्होंने नौकरी ही खोज करना ही बंद कर दिया।
उन्होंने खुद का कोई रोजगार शुरू करने का फैसला किया। इसकी ओर कदम बढ़ाते हुए उन्होंने अचार बनाने की शुरूआत की। उन्होंने विभिन्न तरह के अचार बनाए। उनके अचार को आसपास खूब पसंद किया जाने लगा। यहां से उन्हें हौसला मिला। उनका काम भी बढ़ता गया। काम बढ़ा तो हैल्परों की जरूरत महसूस हुई। उन्होंने गांव की महिलाओं को रोजगार देना शुरू किया। महिलाएं अचार बनातीं जिससे आर्थिक रूप वे धीरे-धीरे सबल होती गईं।

हालांकि शुरुआत में उनके पास उतने पैसे नहीं होने थे कि वे ढेर सारी अचार की सामग्री एक साथ खरीद सकें। इसलिए उन्होंने अपने गांव से ऐसी सारी सामग्री इकठ्ठी की जो कि आसानी से मिल जाती थी। अनीता की इस शुरूआत से न केवल वे स्वयं हर तरह से सक्षम हो सकीं बल्कि गांव की अन्य महिलाओं और युवतियों को रोजगार का साधन भी प्रदान किया। उनके इस प्रयास में उनके पति का उनके साथ पूरा सहयोग बना रहा।
वे अचार बनाने में ऐसी सामग्री का इस्तेमाल करती हैं जो सेहत के लिहाज से स्वास्यवर्धक होती हैं। जैसे, आंवला पाउडर, आवंले का रस, जामुन के बीच का पाउडर आदि। ये सभी सामग्री पेट संबंधी कई बीमारियों को दूर करने में सहायक होती है। उनके अचार बनाने की तकनीक पूरी तरह घरेलू तरीकों पर आधारित होती है। उनके बनाए अचार सरकार द्वारा आयोजित किए जाने वाले विभिन्न मेलों और प्रदर्शनियों में बेचे जाते हैं। उन्हें झारखंड द्वारा 2016-2017 में सफल महिला उद्यमी के प्रथम पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है। उनका यह सफर जारी है…