”1957 में नैनीताल के शेनवुड स्कूल में पढ़ाई के दौरान हमने एक इंग्लिश प्ले किया और हमे ‘केंडल कप फॉर ड्रामेटिक्स’ का बेस्ट एक्टर अवार्ड मिला। अगले साल भी जब हम प्ले करने वाले थे तो सबको लग रहा था की इस बार भी ऐसा ही कुछ होगा लेकिन, प्ले के एक दिन पहले मुझे खसरा हो गया. इन्फर्मरी में बैठकर मैं बस सुन सकता था कि स्टेज पर क्या चल रहा है. इस दौरान बाबूजी पूरा समय मेरे साथ बैठे रहे. तब उन्होंने मुझसे कहा था कि ‘मन का हो तो अच्छा, ना हो तो ज़्यादा अच्छा।”’
अमिताभ बच्चन ने अपने 75 वे जन्मदिन के मौके पर एक टीवी रियलिटी शो पर अपने चाहने वालों को ये किस्सा सुनाया. इस दौरान वे बेहद भावुक भी हो गए. सदी के महानायक, एंग्री यंग मैन, शहंशाह, से लेकर बिग बी के नाम से जाने जाने वाले अमिताभ बच्चन लगभग हर फिल्म कलाकार की प्रेरणा और हर फिल्म प्रेमी के पसंदीदा अभिनेता हैं. अमिताभ ने बॉलीवुड में एक लम्बा सफर तय किया है. लगभग 40 साल के करियर में उन्हें अनेकों बार सफलताएं और असफलताएं हासिल हुईं. कई बार उनकी सेहत ने उनका साथ छोड़ा. कई बार ऐसा हुआ है जब अमिताभ अस्पताल में भर्ती हुए और दुनिया भर से फैंस ने उनकी जिंदगी के लिए दुआएं कीं.
सन् 1982 में फिल्म ‘कुली’ की शूटिंग के दौरान अमिताभ को चोट लग गई थी. इसमें उनका काफी खून बह गया था. स्थिति ऐसी थी कि डॉक्टरों ने उन्हें क्लीनिकली डेड घोषित कर दिया था. हर तरफ से उनके लिए दुआएं की जा रही थीं. दुआओं का नतीजा भी मिला कि बिग बी फिर अपनी सिनेमाई दुनिया में लौटे.
उन्होंने वो बुरा दौर भी देखा है जब वो पूरी तरह से दीवालिया हो गए थे और पीछे एक लम्बा और कामयाब फ़िल्मी करियर होने के बावजूद उन्हें एक प्रोडूसर के यहाँ काम मांगने जाना पड़ा था. लेकिन अमिताभ ने इससे भी परहेज़ नहीं किया और संघर्षों के दौर में भी उन्होंने चट्टान की तरह खड़े रहकर हर मुश्किल का सामना किया और फिर शुरू हुई बॉलीवुड में उनकी दूसरी सफल पारी जो आज भी ज़ारी है. आज अगर वह टीवी से लेकर बड़े परदे और सोशल मीडिया तक हर तरफ सक्रिय हैं, तो इसके पीछे उनका पैशन और फैंस की दुआएं ही हैं. आज इतनी बीमारियों का सामना करने के बाद भी एक्टिव हैं और दिन भर जमकर काम करते हैं. उनकी पहली फिल्म ख्वाजा अहमद अब्बास की बनाई ‘सात हिन्दुस्तानी’ नवंबर, 1969 में रिलीज़ हुई थी. लगभग 4 दशक के लम्बे करियर में अमिताभ ने अपने काम के साथ कभी समझौता नहीं किया. उसी शिद्दत और मेहनत के साथ वो आज भी अपनी हर भूमिका को निभा रहे हैं.
उनके नाम ढेरों सफल फिल्में दर्ज हैं. 1973 में आई फिल्म प्रकाश महरा की फिल्म ‘जंजीर’, 1975 हिंदी सिनेमा की सदाबहार फिल्मों में से एक ‘शोले’, यश चोपड़ा निर्मित दीवार, अमर अकबर एंथनी’ अमर अकबर एंथोनी, ‘डॉन’, ‘अभिमान’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘कुली’, मर्द, ‘सिलसिला’, ‘लावारिस’, ‘याराना’, ‘चुपके चुपके’, ‘नमक हलाल’, ‘नमक हलाल’, ‘शहंशाह’, ‘मोहब्बतें’ ‘कभी ख़ुशी कभी गम’, ‘ब्लैक’, ‘सरकार’, ‘पा’, ‘पिंक’ आदि.
अमिताभ का अर्थ है “ऐसा प्रकाश जो कभी नहीं बुझेगा” आज 11 अक्टूबर को अमिताभ बच्चन का 75 वीं सालगिरह है. अमिताभ बच्चन को उनके ७५ वें जन्मदिन पर ढेर सारी बधाईआं।